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Monday, September 24, 2012

Anna ki rahein - अन्ना की राहें


पता नही क्यूँ मन मानने को तैयार नही है.
पर हाँ, अन्ना यही कह रहे है के मैं राजनीति मे आके अपनी छवि खराब नही कर सकता.
हम आज भी अन्ना की उतनी ही इज़्ज़त करते है जितनी आज से 1.5 साल पहले करते थे. और इस लेख को किसी भी और तरीके से ना लिया जाए.
लोकशाही की बात जब अन्ना के मुँह से पहली बार रामलीला मैदान मे 2011 के अगस्त मे सुनी तो लगा के हाँ यार, हमारी भी कुछ औकात है. वो कहते थे की जनता मालिक है और सरकार उसकी नौकर.
लोकशाही मे जो जनता कहती है उसे ही मानना पड़ता है. और फिर ये बात तो सभी से रूबरू है के एक समान समाज मे जैसा भी बहुमत कहता है, अगर वो सही है तो वैसा ही होना चाहिए. देश का एक अच्छा ख़ासा तबका चाहता है के अच्छे व्यक्तित्व वाले लोगों को राजनीति मे आना चाहिए. इसमे कोई बुरी बात भी नही है.
तो अगर जनता माँग कर रही है के अन्ना को राजनीतिक दल का गठन करना चाहिए, तो क्यूँ वो लोकशाही की दुहाई देने वाला बंदा अब लोकशाही का गला घोंट रहा है.
मौजूदा दौर मे हमारे पास जितने भी राजनीतिक दल है, उसमे हम मानते है के की अच्छे नेता भी है, परंतु बहुमत खराब लोगों का है जो सिर्फ़ मैं के बारे मे ही सोचते है, जबकि जन प्रतिनिधि होने के नाते उन्हे ज़रूरत है हम के बारे मे सोचने की. पिछले आम चुनाव मे 60 % से भी कम मतदान हुआ था. जबकि देश बनाने मे 100 फीसदी लोगों की ज़रूरत होती है. अब वो 40 फीसद से बात करो तो उनका कहना होता है के "यार क्या फ़ायदा, ये आए चाहे वो, दोनो ने हमे ही नचाना है, हम तो फूटबाल के खेल मे उस गेंद की तरह है जो चाहे कितना भी उपर उछल जाए, मारा उसे पैरो से ही जाना है."
भारत बनाम भ्रष्टाचार (इंडिया अगेन्स्ट करप्षन) ने जब आम जनता से पूछा के उन्हे एक राजनीतिक दल बनाना चाहिए या नही तो ७६ फीसदी लोगों ने कहा हाँ. उनकी हाँ का मतलब ये नही हो सकता के भाई तुम राजनीतिक पार्टी बनाओ और हम तुम्हे मतदान ना करके तुम्हे हरा देंगे.
ऐसे मे अन्ना अगर एक राजनीतिक दल बना कर उस जनता को ऐक विकल्प दे देंगे तो हो सकता है के शायद पिछले 65 सालो से लोगो के दिमाग़ पर हमले करके उन्हे जो बताया गया है के इस देश मे किसी का कुछ नही हो सकता, उनके मन भी मानने को तैयार हो जाए के हाँ शायद कुछ तो हो सकता है.
अब अन्ना इस ज़िद पर है के मैं अपनी छवि खराब नही कर सकता. तो यहाँ पे अन्ना से एक सवाल पूछने को दिल चाहता है के क्या अन्ना अपनी इक्लोते की छवि के पीछे सारे देश की छवि को खराब होने दे सकते है? क्या वो इतने निर्दय हो गये है?
क्या उन्हे गलिओ मे फटे कपड़े पहने वो छोटे छोटे बच्चे नही दिखते जो रोटी के एक टुकड़े के लिए ना जाने कितनो के आगे हाथ फैलाते है! क्या केवल जनलोकपाल आ जाने से ये सब ठीक हो जाएगा? क्या उन्हे मा-बाप की लाडली माने जाने वाली बेटिओ के हालत नही दिखते, जो अभिशाप मान कर जन्म लेने से पहले या बाद मे मार दी जाती है? क्या केवल जनलोकपाल आ जाने से ये सब ठीक हो जाएगा? क्या उन्हे बम धमाको मे मारे गये उस नौजवान लड़के के माँ-बाप के आँसू नही दिखते, जो रह रह कर अपनी किस्मत को कोन्स्ते है? क्या केवल जनलोकपाल आ जाने से ये सब ठीक हो जाएगा? क्या उन्हे फंदे से लटकते और कुएँ मे कूदते वो किसान नही दिखते, जो केवल इस लिए जान देने पर मजबूर हो गये की सरकार ने उन्हे उनका मेहनताना नही दिया? क्या केवल जनलोकपाल आ जाने से ये सब ठीक हो जाएगा? क्या उन्हे सरहद पर खड़े उस जवान की आँखो की चमक नही दिखती, जो सोचती है के देश को बाहर वालो से मैं रक्षा कर रहा हूँ और अंदर वालो से अन्ना? क्या केवल जनलोकपाल आ जाने से ये सब ठीक हो जाएगा? हाँ शायद हो भी जाए, आज से २५ साल बाद. मतलब भारत की एक और नस्ल अभी इस भ्रष्टाचार को सहेगी. अन्ना ने अपनी रहें जुड़ा कर ली है पर उनके आदर्श युवा दिलो मे खून की तरह हमेशा दौड़ते रहेंगे. अन्ना के वह ५ विचार जो किसी भी जीवन को सफल बनाने का माद्दा रखते है:
१. शुद्ध आचार
२. शुद्ध विचार
३. अपमान सहने की शक्ति.
४. निष्कलंक जीवन
५. त्याग
अब सवाल ये बनता है के क्या अन्ना को कभी अपनी इस सबसे बड़ी ग़लती का एहसास होगा?
पर उससे भी बड़ा सवाल है के क्या इतिहास कभी अन्ना को माफ़ कर पाएगा?
अरविंद के लिए ४ पंक्तियाँ कहता हूँ के:
राजनीति नही अब रण होगा
देश पर मर मिटने का प्रण होगा
वो लड़ाई होगी की काले अंग्रेज याद रखेंगे
प्रमाण इसका धरती का कण-कण होगा




Wednesday, September 19, 2012

Maa Bharti - माँ भारती

माँ भारती तू जब बुलाएगी, हम तेरे पास चले आएँगे
सांस रहेगी जब तक सांस मे, वन्दे मातरम गाएँगे

ख्वाहिश मन मे बस चली है, पूर्ण स्वराज भी पाएँगे
इन बेईमानी के पुतलो से, अपना वतन बचाएंगे

नहीं मानेंगे वो अगर तो, लाठी डंडा खाएँगे
तेरी खातिर ए वतन, हम जेल तलक भी जाएँगे

वक़्त आने दे ओ आसमाँ, तुझको भी बतलाएँगे
आज़ादी की आतिशी से, आसमाँ चमकाएंगे

जो भी है वो तेरा ही है, तुझको ही दे जाएँगे
दिल तो दे चुके हैं तुझको, अब ये जाँ भी लुटाएँगे

भगत सिंघ के सपने सच हो, ऐसा देश बनाएँगे
आसमाँ मे सबसे उँचा, अपना तिरंगा फेहराएँगे,

शहीदो की मज़ारो पर, हम दिए जलाएँगे
फक्र उनको भी हो हम पर, ऐसा कर दिखलाएँगे

माँ भारती तू जब बुलाएगी, हम तेरे पास चले आएँगे
सांस रहेगी जब तक सांस मे, वन्दे मातरम गाएँगे

An open letter to CAG of India - भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक विनोद राय जी के नाम हमारा खुला पत्र

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक विनोद राय जी के नाम हमारा खुला पत्र:

प्रिय विनोद राय जी,
सप्रेम नमस्कार,
इस पत्र को लिखने के पीछे मेरा उद्देश्य आपको बधाई देना तथा आभार प्रकट करना है कि आपने हमारे देश का जो अनमोल ख़ज़ाना हमारे प्रधान मंत्री
 की वजह से लुट गया है, उसकी जानकारी आपने हम सभी देशवासीओ को देकर हमे ये सोचने पर मजबूर किया कि क्या हमे कुछ करने की ज़रूरत है या नही.
सनदी लेखाकार व्यवसाय से जुड़ा होने के नाते मेरी ज़िम्मेदारियाँ अपने देश की तरफ बढ़ जाती है, और जिस तरह से आपने अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाई है, सत्यमेव जयते का नारा बुलंद करते हुए, मैं उम्मीद करता हूँ के जैसे ही मैं सनदी लेखाकार बन जाऊँगा, मैं भी आपके दिखाए इस मार्ग पर चल सकूँगा.
तब तक के लिए हमारे व्यवसाय से जुड़े सभी भाइयों और बहनो की तरफ से आप हमारा प्रणाम कबूल कीजिए.
जय हिन्दुस्तान

आपका आभारी
निपुण सिकरी

Awaaz Uthao - आवाज़ उठाओ

ऑडियो के लिए: आवाज़ उठाओ गीत - MP3
वीडियो के लिए: आवाज़ उठाओ गीत - Video

आवाज़ उठाओ - बोल

बेबस हो, बेकस हो, मजबूर हो क्यूँ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
आवाज़ से आवाज़ मिलाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जण, गण, मण, जनतंत्र अधिनायक हो तुम,
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ से आवाज़ मिलाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ

जिस देश मे हज़ारो बच्चे भूख से तड़प-तड़प कर मर जाते है
वहाँ लाखों-लाख टन अनाज सड़ जाते है
ऐसी सरकार को क्या कहा जाए

भूखे बिलखते तड़पते है बच्चे
नंगे फटेहाल भटके ये बच्चे
भूखे बिलखते तड़पते है बच्चे
नंगे फटेहाल भटके ये बच्चे
कूड़ो मे कुछ पा मचलते है बच्चे
अनाज गोदमो मे सड़ते ही रहते
अनाज गोदमो मे सड़ते ही रहते
बेबस हो बेकस हो मजबूर हो क्यूँ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जण, गण, मण, जनतंत्र अधिनायक हो तुम,
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ

जिस देश मे दवाओ की कमी से लाखों-लाख लोग मर जाते है
वहाँ खरबो के हथियार खरीदे जाते है
आख़िर क्यों

बीमारो को तो दवा नही मिलती
मरते हुओ को पानी नही है
बीमारो को तो दवा नही मिलती
मरते हुओ को पानी नही है
बोतल मे बिकती है लाखों की प्यासे
खरबो के हथियार खरीदे है जाते
खरबो के हथियार खरीदे है जाते
बेबस हो बेकस हो मजबूर हो क्यूँ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जण, गण, मण, जनतंत्र अधिनायक हो तुम,
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ

महंगाई के नाते आज आम आदमी की थाली से एक-एक करके सारी चीज़े गायब होती जा रही है
फिर भी सरकार महंगाई बढ़ाने की मजबूरी का बार बार रोना रोती है
आख़िर क्यों

तेरे गले पे छुरी रखी है
तेरी ही मेहनत पे डाका पड़ा है
तेरे गले पे छुरी रखी है
तेरी ही मेहनत पे डाका पड़ा है
तेरी ही थाली तो लूटी गयी है
फिर भी तू रो रो के सहता रहा है
फिर भी तू रो रो के सहता रहा है
बेबस हो बेकस हो मजबूर हो क्यूँ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जण, गण, मण, जनतंत्र अधिनायक हो तुम,
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ


मुझे नही पता ये किसने लिखा गाया है.
जो भी क्रेडिट लेना चाहे वो मुझे इस पर ई-मेल कर सकता है: aamjankalyan@gmail.com

Retail in Foreign Direct Investment (FDI) -भारत को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की ज़रूरत

भारत को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ.डी.आइ.) की ज़रूरत

बात को ध्यान से पढ़ना और समझ आया तो औरो को भी पढ़ाना.
जब हिलेरी क्लिंटन भारत आई और बंगाल पहुँच के दीदी को समझा रही थी की रीटेल मे एफ.डी.आइ. भारत की ज़रूरत है. तो मुझे लगता है के दीदी को सोच समझ के उसी वक़्त ये जवाब देना था के भारत को एफ.डी.आइ. की नही एफ.डी.आइ. को भारत की ज़रूरत है.
नही तो हमारे लोगों के पास पैसे की कमी है क्या?
अगर हमारी सरकार बाहर के लोगो के आगे हाथ जोड़ सकती है तो क्या वो अपने लोगो से सिर्फ़ दरख़्वास्त भी नही कर सकती.
मगर ये सियासतदार लोग जानते है के हमारे उद्योगपतिओ का पैसा देश के हित के लिए नही है.
वो तो इनके चुनावी अभियानो के लिए सुरक्षित है.
बड़े बड़े उद्योगपतिओ को डरा धमका कर उनसे पैसा ले लिया जाता है ताकि वो चाह कर भी देश हित मे कुछ ना कर सके.
और एक बात कह दूँ जो आप सब लोग जानते भी है, "भारत ग़रीब देश है लेकिन भारतीय ग़रीब नही है".
दुनिया मे १९६ देश है. उन १९६ देशो मे से जब १०० सबसे अमीर लोगो को चुना जाता है तो 5 भारतीयों का भी नाम आता है.
तो अब आप समझ ही जाइए कि भारत ग़रीब देश है लेकिन भारतीय ग़रीब नही है.
और जिस दिन इस भारतीय की मानसिकता 'मैं' से "हम" पर आ गयी उस दिन देखना होगा के कौन सा पाकिस्तान हम पर आतंकी हमले करवा पाता है, कौन सा अमेरिका हम पर दबाव बना पाता है और कौन सा चीन हम से आगे निकल पाता है.
और अब देखना ये होगा के कौन कौन सा बंदा यहाँ पे इतना समझदार है की इस बात को सब तक पहुँचा पाता है.
जय इंसान
जय हिन्दुस्तान!!

Friday, September 14, 2012

Kya aap shakahari hai-क्या आप शाकाहारी है

आज एक सवाल पूछने को दिल चाह रहा है
क्या आप शाकाहारी है- या आप सिर्फ़ समझते है कि आप शाकाहारी है, क्यूंकी इस लिंक पर जाने के बाद शायद आपकी सोच बदल जाए, आपको पता चले की आप ना चाहते हुए भी एक साल मे कितना सारा माँस ग्रहण करते है और वो भी आपकी
 पसंदीदा मिठाई के रूप मे
मैं ये नही कहूँगा की इसे साझा करे और दोस्तों तक पहुँचाए पर हाँ इतना ज़रूर है की सत्य तो सत्य ही रहेगा, चाहे आप चाहे या आप ना चाहे
सत्यमेव जयते
जय भारत

http://www.iskcondesiretree.net/profiles/blogs/indian-sweets-silver-foils


Hindi Diwas Vishesh-हिन्दी दिवस विशेष




हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
मुझे हिन्दी से प्रेम है और अँग्रेज़ी से नफ़रत है, इसके कई कारण है.
सर्वप्रथम तो यह के अँग्रेज़ी मेरा नाम ही नही लिख सकते.
बचपन से ही मुझे ण को न लिखते आना पड़ रहा है.
बचपन मे जब प्रयायवाची शब्द पड़ते हुए मेरा नाम कुशल के सामने आता था तब ये समझ नही आता था के हिन्दी मे निपुण है तो अँग्रेज़ी मे निपुन क्यूँ.
दूसरा कारण ये (देखा आप कारण भी अँग्रेज़ी मे नहीं लिख बोल सकते) के मैं जब पैदा हुआ और 1-2 साल मे बोलने लगा तो मैने जो पहले शब्द मुख से निकाले वो हिन्दी मे ही थे. तो हिन्दी मेरी मातृभाषा है.









तीसरा कारण ये के ये मेरी अपनी भाषा है, मेरे पिताजी भी यही बोलते है, मेरे दादाजी भी यही बोलते थे.
अच्‍छा एक बताओ, बचपन मे जब कभी लड़ाई होती थी आपके और दूसरे गुट के बीच, तो अपने गुट के दोस्तों का साथ देते थे या दूसरो का.
तो फिर, जब अँग्रेज़ी और हिन्दी के बीच की लड़ाई है तो दूसरो का साथ कैसे दे रहे हो.









अच्छा अब आप कहेंगे साहब इस वैश्वीकरण के दौर मे हम अँग्रेज़ी से मुँह मोड़ लेंगे तो जीवनयापन कैसे होगा.
तो मेरा तर्क ये है के अंग्रज़ी बोलते रहो और हिन्दी से जुड़े रहो.
जब अँग्रेज़ी बोलने वाले लोग अपनी भाषा को विश्व की भाषा बना सकते है तो हम क्यूँ नही.
हम क्यूँ नही मेहनत करते अपनी भाषा को विश्व की भाषा बनाने के लिए.
सभी ने माना है के हिन्दी विश्व की सर्वश्रेष्ठा भाषाओ मे एक है.
क्यूंकी हिन्दी मे आप निपुण लिख सकते है अँग्रेज़ी मे नही.
अच्छा एक और, अँग्रेज़ी मे त है ही नही. अँग्रेज़ी वर्णमाला का कोई वर्ण त से शुरू ही नही होता.
अब ये अपमान हम कैसे सहे.
क्यूंकी हिन्दी बोलने वाले जानते है के हम चाहे गुस्से मे हो चाहे उल्लास मे, हम जब तक तेरी ___ की ___  नही बोलते तब तक हमे सुकून नही मिलता है.

मैं इतनी तरफ़दारी कर रहा हूँ हिन्दी की फिर भी मैने एक अँग्रेज़ी माध्यम के विद्यालय मे 14 साल तक पढ़ाई की.
क्यूंकी मैं जब 1990 मे पैदा हुआ तब उदारीकरण और वैश्वीकरण नयी नयी समस्याएँ आई थी.
तो मेरे पिताजी को लगा के कहीं मेरा लड़का दुनिया की भागदौड़ मे पीछे ना रह जाए इसलिए उन्होने शहर के सबसे बेहतरीन विद्यालय मे मेरा दाखिला करा दिया.
पर कोई बात नही, अगर मैं अँग्रेज़ी ना पढ़ता तो मुझे
पता कैसे चलता के हिन्दी बेहतर है या अँग्रेज़ी.



अब मेरी समझ मे तो आ गयी है, देखते है आप कितना समझ पाते है. तो गुड मॉर्निंग की जगह नमस्ते सुप्रभात बोलिए,
गुड नाइट की जगह शुभ रात्रि, और दिखाइए हिन्दी भाषा को के वो सिर्फ़ एक भाषा नही है, वो हमारी मातृभाषा है.
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

Thursday, September 13, 2012

Thootiye, Sootiye, Kootiye-थूतिये, सूतिये, कूतिये

आओ मिलके थूतियो, सूतियों और कूतियो को बताए की क्या सही है और क्या ग़लत है
अगर आप इस मुहिम को और आगे बढ़ाना चाहते है तो हमे इस बिजली संदेश पते पर संपर्क करे: aamjankalyan@gmail.com
अगर आपको इसकी वर्ड फाइल चाहिए तो आप इस लिंक पर जा सकते है
https://docs.google.com/document/d/1vrHgM-hvaKEyLObSvxMG4ID7ZWiJuMDuCKTLIF6zs2c/edit

Monday, September 3, 2012

Mannu Badnaam Hua--मन्नू बदनाम हुआ

मुन्नी उर्फ मन्नू जी सन्सन्ग मे शुरू करते है:
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
सोहनेयो के बेटा शराबी, बेंक बेहिसाबी, ना कोई जवाबी रे....
गटर और सीवर हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
अंडरअचीवर हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
सोहनेयो के बेटा शराबी, बेंक बेहिसाबी, ना कोई जवाबी रे....
गटर और सीवर हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
अंडरअचीवर हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
करप्ट है फिगर, ज़बान पे ताला, ज़बान पे ताला
कोयले घोटाले मे मुँह है काला रे मुँह है काला
रे तू ना जाने मेरी चुप्पी पे......
रे तू ना जाने मेरी चुप्पी पे अरबो रुपैया मिला
रिमोट वाला रोबोट हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
बिकने वाला वोट हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
फिर सारी जनता एक स्वर मे बोलती है:
ओये मन्नू, ओये मन्नू
ओये मन्नू, ओये मन्नू
फिर परम पूजनिय सोनू सूद उर्फ अन्ना जी आते है
ओये मन्नू रे, ओये मन्नू रे
तेरा गली गली मे चर्चा रे
बाँटा कोयला, वो बगैर पर्चा रे
बाँटा कोयला, वो बगैर पर्चा रे
ओये मन्नू रे, ओये मन्नू रे
मुन्नी उर्फ मन्नू जी सन्सन्ग मे फिर से शुरू करते है:
कैसी सरकार से मेरा पाला पड़ा, जी पाला पड़ा
कैसी सरकार से मेरा पाला पड़ा, जी पाला पड़ा
दिग्गी भोंकी जाए, छोटू चुप छाप खड़ा, अन्ना पीछे पड़ा
उ.पी. पंजाब और गोआ भी गया.......
उ.पी. पंजाब और गोआ भी गया, अब तो दिल्ली भी जाएगा
मैं तो हरिद्वार चला, सोहनेयो छोड़ के तुझे
अब हरी के द्वार चला, सोहनेयो छोड़ के तुझे
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
फिर पीछे से सलमान उर्फ सोहनेयो आती है

मुझको छोड़ के तू कहाँ पे चला, कहाँ पे चला
मुझको छोड़ के तू कहाँ पे चला, कहाँ पे चला
तेरे रहते तो मेरा परिवार पला, रे परिवार पला
पेट्रोल पड़ा है और डीसल भी पड़ा......
पेट्रोल पड़ा है और डीसल भी पड़ा अभी तो लूटा सिर्फ़ कोयला....
तूने खूब काम किया, मन्नू जी मेरे लिए
मेरा खूब नाम लिया, मन्नू जी मेरे लिए
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
मन्नू बदनाम हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
सोहनेयो के बेटा शराबी, बेंक बेहिसाबी, ना कोई जवाबी रे....
गटर और सीवर हुआ, सोहनेयो तेरे लिए
अंडरअचीवर हुआ, सोहनेयो तेरे लिए

सौजन्य से : गीत 'मुन्नी बदनाम हुई', पिक्चर 'दबंग'