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२६ नवंबर २००८, एक बुधवार
२१ नवंबर २०१२, एक और बुधवार
ये मच्छर सही मे बहुत आलसी होते है। सालो ने 155 हफ्ते लगा दिये सही बंदा खोजने मे।
आज जो हुआ उससे मेरा मन अति प्रफुल्लित है मैं ऐसा तो नहीं कहुंगा क्योंकि १५० परिवारों की ज़िंदगी खराब करके
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२६ नवंबर २००८, एक बुधवार
२१ नवंबर २०१२, एक और बुधवार
ये मच्छर सही मे बहुत आलसी होते है। सालो ने 155 हफ्ते लगा दिये सही बंदा खोजने मे।
आज जो हुआ उससे मेरा मन अति प्रफुल्लित है मैं ऐसा तो नहीं कहुंगा क्योंकि १५० परिवारों की ज़िंदगी खराब करके
अगर मौत मिल भी गयी तो क्या है?
उसे एक राष्ट्रीय धरोहर की तरह सम्भाल के रखने वाली मेरी सरकार के मन मे ना जाने क्या निकलवाने चाह थी उस चूज़े से के उसने कई करोड़ रुपये लुटा दिए जो कि सही मायने मे हमारे हक़ के थे।
पर मैं वारी वारी जाऊं उस परम पूजनीय श्री श्री 1008 मच्छर खान पे जिसने मेरी जेब से निकलने वाले और पैसे को बचा लिये। इस मच्छर के लिये तो मेरा कह्ने का मन कर रहा है "मैं भी मच्छर, तू भी मच्छर, अब तो सारा देश है मच्छर"
अब कईओं के मन मे सवाल आयेगा के सरकार ने तो फांसी दी है तो सब डेंगू से मौत क्यूं कह रहे है। पूरी तरह से आश्वस्त तो मैं भी नही हूँ किसी एक को लेके पर इस धोखेबाज़ सरकार पर विश्वास करने का मन नही कर रहा इसीलिए मैं डेंगू वाली बात को ही सच मान रहा हूँ जिसके लिये मैं यहाँ कुछ बातें रखता हूँ:
१. सबसे पह्ला तो ये कि कसाब के वकील ने भी कहा के उसे तक को कसाब का डेथ वारंट नही दिया गय, जो की आप भारतीय दंड सन्हिता के मुताबिक कर नही सकते।
२. दूसरा यह के उसके खाने पीने और मूतने हगने तक की खबरें जब मीडीया मे आ सकती है तो उसकी फांसी की सज़ा को कोई कैसे छुपा सकता है।
३. तीसरा शक यह है के अभी तक जो सरकार कसाब के मुद्दे पे मुँह तक नही खोलती थी उसने ईतनी जल्दी ये सब कैसे और क्यों किया।
बाकी आप लोग खुद् ही समझदार है। खोद डालिये सच्चाई को।
वैसे मैं तो अब से बुधवार के व्रत रखना शुरू करने वाला हूँ।
जय इंसान, जय हिंदुस्तान
उसे एक राष्ट्रीय धरोहर की तरह सम्भाल के रखने वाली मेरी सरकार के मन मे ना जाने क्या निकलवाने चाह थी उस चूज़े से के उसने कई करोड़ रुपये लुटा दिए जो कि सही मायने मे हमारे हक़ के थे।
पर मैं वारी वारी जाऊं उस परम पूजनीय श्री श्री 1008 मच्छर खान पे जिसने मेरी जेब से निकलने वाले और पैसे को बचा लिये। इस मच्छर के लिये तो मेरा कह्ने का मन कर रहा है "मैं भी मच्छर, तू भी मच्छर, अब तो सारा देश है मच्छर"
अब कईओं के मन मे सवाल आयेगा के सरकार ने तो फांसी दी है तो सब डेंगू से मौत क्यूं कह रहे है। पूरी तरह से आश्वस्त तो मैं भी नही हूँ किसी एक को लेके पर इस धोखेबाज़ सरकार पर विश्वास करने का मन नही कर रहा इसीलिए मैं डेंगू वाली बात को ही सच मान रहा हूँ जिसके लिये मैं यहाँ कुछ बातें रखता हूँ:
१. सबसे पह्ला तो ये कि कसाब के वकील ने भी कहा के उसे तक को कसाब का डेथ वारंट नही दिया गय, जो की आप भारतीय दंड सन्हिता के मुताबिक कर नही सकते।
२. दूसरा यह के उसके खाने पीने और मूतने हगने तक की खबरें जब मीडीया मे आ सकती है तो उसकी फांसी की सज़ा को कोई कैसे छुपा सकता है।
३. तीसरा शक यह है के अभी तक जो सरकार कसाब के मुद्दे पे मुँह तक नही खोलती थी उसने ईतनी जल्दी ये सब कैसे और क्यों किया।
बाकी आप लोग खुद् ही समझदार है। खोद डालिये सच्चाई को।
वैसे मैं तो अब से बुधवार के व्रत रखना शुरू करने वाला हूँ।
जय इंसान, जय हिंदुस्तान
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