ऑडियो के लिए: आवाज़ उठाओ गीत - MP3
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आवाज़ उठाओ - बोल
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आवाज़ उठाओ - बोल
बेबस हो, बेकस हो,
मजबूर
हो क्यूँ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
आवाज़ से आवाज़ मिलाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जण, गण, मण, जनतंत्र
अधिनायक हो तुम,
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ से आवाज़ मिलाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जिस देश मे हज़ारो बच्चे भूख से तड़प-तड़प कर
मर जाते है
वहाँ लाखों-लाख टन अनाज सड़ जाते है
ऐसी सरकार को क्या कहा जाए
भूखे बिलखते तड़पते है बच्चे
नंगे फटेहाल भटके ये बच्चे
भूखे बिलखते तड़पते है बच्चे
नंगे फटेहाल भटके ये बच्चे
कूड़ो मे कुछ पा मचलते है बच्चे
अनाज गोदमो मे सड़ते ही रहते
अनाज गोदमो मे सड़ते ही रहते
बेबस हो बेकस हो मजबूर हो क्यूँ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जण, गण, मण, जनतंत्र
अधिनायक हो तुम,
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जिस देश मे दवाओ की कमी से लाखों-लाख लोग मर
जाते है
वहाँ खरबो के हथियार खरीदे जाते है
आख़िर क्यों
बीमारो को तो दवा नही मिलती
मरते हुओ को पानी नही है
बीमारो को तो दवा नही मिलती
मरते हुओ को पानी नही है
बोतल मे बिकती है लाखों की प्यासे
खरबो के हथियार खरीदे है जाते
खरबो के हथियार खरीदे है जाते
बेबस हो बेकस हो मजबूर हो क्यूँ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जण, गण, मण, जनतंत्र
अधिनायक हो तुम,
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
महंगाई के नाते आज आम आदमी की थाली से एक-एक
करके सारी चीज़े गायब होती जा रही है
फिर भी सरकार महंगाई बढ़ाने की मजबूरी का बार
बार रोना रोती है
आख़िर क्यों
तेरे गले पे छुरी रखी है
तेरी ही मेहनत पे डाका पड़ा है
तेरे गले पे छुरी रखी है
तेरी ही मेहनत पे डाका पड़ा है
तेरी ही थाली तो लूटी गयी है
फिर भी तू रो रो के सहता रहा है
फिर भी तू रो रो के सहता रहा है
बेबस हो बेकस हो मजबूर हो क्यूँ
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
जण, गण, मण, जनतंत्र
अधिनायक हो तुम,
आवाज़ उठाओ
आवाज़ उठाओ, आवाज़ उठाओ
मुझे नही पता ये किसने लिखा गाया है.
जो भी क्रेडिट लेना चाहे वो मुझे इस पर ई-मेल कर सकता है: aamjankalyan@gmail.com
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