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एक दुकान मे एक दुकानदार होता है और पाँच नौकर होते है.
दुकानदार जिसका नाम जिन्तुजान, बहुत ही नेक दिल, शरीफ पर होशियार होता है.
नौकरों का एक नेता होता है, अक्तिका, बड़ा ही चापलुस, बिल्कुल गैर वफ़ादार, कभी मौका मिले तो मलिक को दुकान से बाहर करके खुद उस दुकान पर अपना क़ब्ज़ा करले.
बहुत साल बीत जाते है, कई नौकर आते है, मालिक के साथ मिल के तरक्की करते है और चले जाते है, पर अक्तिका वहीं का वहीं रहता है. अब एक समय ऐसा आता है के मालिक के घर मे कुछ दिक्कतें आनी शुरू हो जाती है, कभी मालिक की बीवी कहती है के अक्तिका को हद से ज़्यादा सर पे मत चढ़ाओ, कभी मालिक का बेटा कहता है के मेरे साथ आप सौतेला व्यवहार करते हो, कभी मालिक का भाई कहता है के ग्राहको को हद से ज़्यादा ना लूटो, उन्हे ठीक से माल दो.
इस सब की भनक अक्तिका को लग जाती है, और वो इस मौके को भुनाना शुरू कर देता है. कभी तो कहे के मेरे भाई भतीजे को ही अपनी दुकान मे नौकर रखो, कभी दूसरे आने वाले नौकरो को बताए, के यह मालिक अच्छा नही है, तनख़्वाह नही देता, कभी मालिक की बीवी को समझाए के वो अच्छा है. और इस तरीके से सबको अपने वश मे करके एक दिन दुकान पर पाँचो नौकर उसी के घर परिवार के और मालिक को लात मार के दुकान-ओ-घर से बाहर कर दिया. और मालिक बेचारा सोचता रहा के काश, बीवी की सुन लेता, काश भाई की सुन लेता.
जिन्तुजान यहाँ पर हिन्दुस्तानी सरकार को जताते है, अक्तिका यहाँ पर अमरीकन सरकार को जताता है, बीवी सरकार के विरोधियों को, बेटा राज्य सरकारों को और भाई समाज सेविओ को.
एक अमरीकी कंपनी भारत की सरकार को कहती है के अगर तुमने हमे अपने देश नही बेचा तो हम तुम्हारी रेटिंग गिरा देंगे और फिर तुम्हारे देश मे कोई नही आएगा.
अरे इन नालयकों को समझाओ के हमारे देश को खरीदने का दम एक अमरीका मे तो क्या, १० अमरीको मे भी नही है.
हम नही चाहते तुम यहाँ आके धंधा करो, तुम चाहते हो यहाँ आके धंधा करना, कभी हिलरी क्लिंटन को भेजते हो, कभी ओबामा को भेजते हो, कभी S&P को भेजते हो.
पर तुम्हे क्या लगता है, तुम यूँ हमारे बेबस मौन नेता पे दबाव बना के, इटली वालों को हमारे यहाँ भेज के, हमे खरीद लोगे.
जब तक इस देश मे अरविंद केजरीवाल, कुमार विश्वास और रामदेव जैसे देशभक्त लोग है, तब तक तुम्हारा ये सपना हम कभी पूरा ना होने देंगे.
जय इंसान
जय हिन्दुस्तान
एक दुकान मे एक दुकानदार होता है और पाँच नौकर होते है.
दुकानदार जिसका नाम जिन्तुजान, बहुत ही नेक दिल, शरीफ पर होशियार होता है.
नौकरों का एक नेता होता है, अक्तिका, बड़ा ही चापलुस, बिल्कुल गैर वफ़ादार, कभी मौका मिले तो मलिक को दुकान से बाहर करके खुद उस दुकान पर अपना क़ब्ज़ा करले.
बहुत साल बीत जाते है, कई नौकर आते है, मालिक के साथ मिल के तरक्की करते है और चले जाते है, पर अक्तिका वहीं का वहीं रहता है. अब एक समय ऐसा आता है के मालिक के घर मे कुछ दिक्कतें आनी शुरू हो जाती है, कभी मालिक की बीवी कहती है के अक्तिका को हद से ज़्यादा सर पे मत चढ़ाओ, कभी मालिक का बेटा कहता है के मेरे साथ आप सौतेला व्यवहार करते हो, कभी मालिक का भाई कहता है के ग्राहको को हद से ज़्यादा ना लूटो, उन्हे ठीक से माल दो.
इस सब की भनक अक्तिका को लग जाती है, और वो इस मौके को भुनाना शुरू कर देता है. कभी तो कहे के मेरे भाई भतीजे को ही अपनी दुकान मे नौकर रखो, कभी दूसरे आने वाले नौकरो को बताए, के यह मालिक अच्छा नही है, तनख़्वाह नही देता, कभी मालिक की बीवी को समझाए के वो अच्छा है. और इस तरीके से सबको अपने वश मे करके एक दिन दुकान पर पाँचो नौकर उसी के घर परिवार के और मालिक को लात मार के दुकान-ओ-घर से बाहर कर दिया. और मालिक बेचारा सोचता रहा के काश, बीवी की सुन लेता, काश भाई की सुन लेता.
जिन्तुजान यहाँ पर हिन्दुस्तानी सरकार को जताते है, अक्तिका यहाँ पर अमरीकन सरकार को जताता है, बीवी सरकार के विरोधियों को, बेटा राज्य सरकारों को और भाई समाज सेविओ को.
एक अमरीकी कंपनी भारत की सरकार को कहती है के अगर तुमने हमे अपने देश नही बेचा तो हम तुम्हारी रेटिंग गिरा देंगे और फिर तुम्हारे देश मे कोई नही आएगा.
अरे इन नालयकों को समझाओ के हमारे देश को खरीदने का दम एक अमरीका मे तो क्या, १० अमरीको मे भी नही है.
हम नही चाहते तुम यहाँ आके धंधा करो, तुम चाहते हो यहाँ आके धंधा करना, कभी हिलरी क्लिंटन को भेजते हो, कभी ओबामा को भेजते हो, कभी S&P को भेजते हो.
पर तुम्हे क्या लगता है, तुम यूँ हमारे बेबस मौन नेता पे दबाव बना के, इटली वालों को हमारे यहाँ भेज के, हमे खरीद लोगे.
जब तक इस देश मे अरविंद केजरीवाल, कुमार विश्वास और रामदेव जैसे देशभक्त लोग है, तब तक तुम्हारा ये सपना हम कभी पूरा ना होने देंगे.
जय इंसान
जय हिन्दुस्तान
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