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Friday, August 23, 2013

ओह भगत सिंह - बोल - Oh Bhagat Singh - Song Lyrics


ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह



तुने दी थी जान के बन जाये अच्छा हिंदुस्तान
पर ये नेता बेच के खा गए मेरा मकान और दुकान
तुने दी थी जान के बन जाये अच्छा हिंदुस्तान
पर ये नेता बेच के खा गए मेरा मकान और दुकान
एक बात पते कि कहता हूँ मैं बुरा ना गर तू मान
एक बात पते कि कहता हूँ मैं बुरा ना गर तू मान
व्यर्थ ही चला गया रे पगले तेरा बलिदान
व्यर्थ ही चला गया रे पगले तेरा बलिदान
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह


आज़ादी के बारे मे क्या सोचा था क्या हुआ
जागते हुए भी सोता है तेरे देश का युवा
दंगो ने बम धमाकों ने किसी के दिल को ना है छुआ
तभी तो सिंघ के सामने दहाड़ रहा है चुहा
तभी तो सिंघ के सामने दहाड़ रहा है चुहा
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह


स्वर्ग मे बैठा तू भी तो क्या क्या सोचता होएगा
मत देख वीरे धरती पर वरना दिल भी रोएगा
65 साल मे देश ने क्या पाया क्या खोएगा
तेरे सपनों के भारत का बीज कौन बोएगा
तेरे सपनों के भारत का बीज कौन बोएगा
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
की करा मैं तू मैनु दस भगत सिंह 

ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह

ओह.... ओओओ... ओह.... ओओओ...
तेरे तेरे तेरे तेरे तेरे तेरे तेरे तेरे


तेरे सपनों का भारत अब हम बनाएंगे
तुझको भी फक्र हो हमपर कुछ कर दिखाएंगे
हर खास होगा आम और हर आम का होगा नाम
माँ धरती की कोख से हम प्यार उगाएंगे


जीने का अधिकार भी होगा 
जीवन का सत्कार भी होगा
घर-ओ-बस्तियां फिर ना जलेंगी
हर दिल मे बस प्यार ही होगा



और किसी की नहीं ये मेरी ज़िम्मेदारी है
भारत बनने मे क्यूं ना हो सबकी हिस्सेदारी है
मुश्किल तो है राह पर इरादे भी है मज़बूत
बहुत हुआ अब फिर से हिंदोस्तान की बारी है
बहुत हुआ अब फिर से हिंदोस्तान की बारी है
बहुत हुआ अब फिर से हिंदोस्तान की बारी है

ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह
प्यारे भगत सिंह, हमारे भगत सिंह 
ओह भगत सिंह, भगत सिंह, ओह भगत सिंह

चैन से सोजा, क्यूंकी हम जाग गए
चैन से सोजा, क्यूंकी हम जाग गए
हम जब भी जागे दुश्मन पीठ दिखा कर भाग गए
चैन से सोजा, क्यूंकी हम जाग गए
हम जब भी जागे दुश्मन पीठ दिखा कर भाग गए
हम जब भी जागे दुश्मन पीठ दिखा कर भाग गए

Wednesday, August 14, 2013

Mujhpe karam sarkar tera

मुझपे करम सरकार तेरा
बिजली महंगी, प्याज़ महंगा, सब कुछ महंगा
जीना और मरना महंगा
सब कुछ है यहाँ महंगा, है यहाँ महंगा


एक दारू बोतल और इक चिकन
नहीं चला पाते पाँच साल किचन
तुझको वोट था दिया, अपनी ग़लती मैं समझ गया


तूने मुझको सताया, पग पग है रुलाया
मैं तो जग को ना भाया, तूने भी वापिस भगाया
जब भी तुझसे मिलने आया
मुझको उल्लू है बनाया, अर्थशास्त्र का पाठ पढ़ाया
अनाज गोदामों मे सड़ाया, मुझको कुछ भी समझ ना आया
मुझको कुछ भी समझ ना आया


मैं बेवकूफ़ नही हूँ, बेवकूफ़ नही हूँ, बेवकूफ़ नही हूँ, बेवकूफ़ नही
मैं बेवकूफ़ नही हूँ, बेवकूफ़ नही, मैं बेवकूफ़ नही हूँ


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Friday, January 18, 2013

बलात्कार करने वालों का, लिंग काट दो सालो का - आप अपनी राय बताएं


कल दिन मे जंतर-मंतर गया था अपना संदेश “बलात्कार करने वालों का, लिंग काट दो सालो का अपने सीने पर चिपका के।
वहाँ पर स्मिता नाम की एक महिला मिली और उन्होने कहा की ये सज़ा ठीक नहीं है, उनके तर्क थे, इससे जो बलात्कारी होगा वो कोई भी सबूत न छोड़ने के लिए लड़की को जान से मार देगा, ये सज़ा और अपराध को बढ़ावा देगी, ऐसा करना अमानवीय होगा, वगैरह।
ये संवाद एक तरफा ही रहा। वो किसी महिला संगठन की अधिकारी थी शायद इसलिए उन्हे सिर्फ बताने की आदत ही थी और वो मेरी बात सुन नहीं पाई।
मैं उनसे कहना चाहता था कि ऐसा कौन सा अपराधी है जो अपराध करने के बाद अपनी पीछे सबूत छोडना चाहता है (आप दामिनी दी के दोस्त कि गवाही को मान सकते है जिसमे उन्होने कहा कि उन छक्को ने उन्हे बस से कुचलने कि कोशिश की), तो ये कहना तो गलत है कि इस सज़ा से अपराध बढ़ेगा, अगर ऐसा है तो वो तो सज़ा को फांसी मे बदलने से भी हो सकता है, उम्र कैद करने से भी हो सकता है।
और जहां तक बात है अमानवीय होने की तो मेरा मानना है कि अमानवीय तो बलात्कार करना भी है। उस लड़की को जिसका बलात्कार हुआ होता है उसके साथ सारा समाज, हम लोग कैसा व्यवहार करते है ये किसी को बताने कि ज़रूरत नहीं है, उसे अछूत समझा जाता है, लोग सीधी नज़र से कभी नहीं देखते। ऐसे मे न्याय का अर्थ क्या होगा, सिर्फ किसी को सात साल की कैद दे देना ताकि वो फिर से अपनी मर्दांगी का जोश समाज को दिखा सके। उसके साथ कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे उसे दिन मे 4-5 बार तो याद आए उसने क्या किया है।
जिस दिन ये सज़ा अमल मे आई और 2 लोगो को दी गयी, सिर्फ 2 लोगो को, तो पूरे भारत वर्ष मे ऐसी घटनाओं को अंजाम देने से पहले किसी मंत्री का कपूत भी सोचेगा।
ये मेरा मानना है, आप अपनी राय बताए।